Author: Saumya Srivastav

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जिन्दगी की रफ्तार जब वक्त के रफ्तार के आड़े ना आए तब जिन्दगी खूबसूरत लगती है। लेकिन वक्त के साथ पीछे, और भी पीछे चलते चले जाना हमें ज़ार – ज़ार कर देता है। ‘समीरा’ भी ऐसे ही दौर से गुजर रही थी। छत की ओर टकटकी लगाए कुरेद रही थी वो अपना वजूद, अपना…